मनोरंजन हर किसी को पसंद होता है । हर किसी का मनोरंजन करने का अपना एक तरीका होता है । कोई संगीत से तो कोई टीवी देखकर कोई खाना बनाकर तो कोई बातें करके अपना मनोरंजन करता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मोबाइल पर गेम खेलकर अपना मनोरंजन करते हैं। इनमें कुछ गेम्स ऐसी होती हैं जो आपके दिमाग के लिये काफी अच्छी होती हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो समय की बरबादी के लिये खेली जाती है । जिसमें केवल हमें मजा आता है । पर क्या आप कभी ऐसा सोच सकते हैं कि इन सब से परे कोई गेम किसी की जान भी ले सकता है । आजकल “blue whale challenge” नाम से एक “खूनी गेम” काफी चर्चा में है । इसका मुख्य शिकार बच्चे हैं इसीलिये इस पोस्ट के जरिये हम आपको बतायेंगे कि “blue whale game se bacchon ko kese bachayen”.
ब्लू व्हेल ने ली इस बच्चे की जान – blue whale suicide game in hindi
अभी कुछ दिनों पहले मुम्बई के एक इलाके में 14 साल के एक मनप्रीत नाम के बच्चे ने बिल्डिंग की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली । पुलिस ने जब छान बीन की तो इसके पीछे भी यही गेम था । बताया जा रहा है कि बच्चे ने छलांग लगाने से पहले अपने मित्रों को भी इस बारे में बताया था । उसने उन्हें यह भी बताया कि वह कल स्कूल नहीं आयेगा। छलांग लगाने से पहले उसने नेट पर सर्च भी किया था कि छलांग लगाते कैसे हैं । इतना ही नहीं उसने छलांग लगाने से 20 मिनट पहले भी अपने दोस्तों से बात की और उसने बताया कि एक अंकल उसे वहां से हटने को बोल रहे हैं पर जैसे ही उनकी नज़र हटती है वह छलांग लगा देता है और उसकी मौत हो जाती है। blue whale game की वजह से दुनिया भर में करीब 250 से ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है । इनमें से 130 के लगभग तो रूस के ही हैं ।
please be aware from this “dangerous suicide game” https://t.co/00jkQnc5Xq
— Shweta Rani (@shweta13390) September 8, 2017
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ब्लू वहेल गेम से जुड़े बच्चों के लक्षण – blue whale game khelne walon ko kese pehchane
- ऐसे लोग ज्यादातर चुप चुप रहते हैं ।
- लोगों से दूर भागते हैं ।
- अकेला रहना पसंद करते हैं और अनिंद्रा के शिकार हो जाते हैं ।
- हर वक़्त मोबाइल में लगे रहते हैं ।
- छोटी – छोटी बात पर मायूस से हो जाते हैं और कभी – कभी आक्रामक भी ।
- इनके चेहरे को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये हर वक्त दुविधा में रहते हैं ।
- हर वक्त कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं ।
ब्लू व्हेल गेम की शुरुआत – blue whale game kese shuru hua
blue whale game का आरम्भ 2013 में रूस में हुआ था। यह फिलिप नामक एक व्यक्ति ने शुरु की थी । ऐसा करने के लिये इस व्यक्ति ने लोगों से सोशल मीडिया पर कॉन्टेक्ट किया । शुरु में इसने ग्रुप बनाया और ऐसे लोगों को जो इस ओर आकर्षित होते हैं उन लोगों को उस ग्रुप में जोड़ा । धीरे- धीरे इसमें जुड़ने के बाद इस गेम को शुरु किया । बाद में उसने और ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ लिया और वह इस गेम को रूस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से चलाने लगा । लोगों को इस गेम में मजा आने लगा । यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगी । इस गेम को वीकॉनटेकटे नामक सोशल साइट पर बनाया गया है यह रूस की सबसे पापुलर सोशल साइट है । जिस पर सर्च करते ही बच्चों के पास कई सारे डरावने मैसेज व तस्वीरें आ जाती हैं ।
-> अन्य देशों में बढ़ता इस गेम का क्रेज – धीरे – धीरे इस गेम ने अपने पैर रूस में जमा लिये। इस गेम के चपेट में वो लोग सबसे ज्यादा आये जो इंटरनेट का ज्यादा यूज करते हैं | इस व्यक्ति ने सबसे ज्यादा लोगों को ट्रैक hashtags की वजह से किया। इसके बाद इस गेम ने रूस के अलावा भी कई देशों में अपने कदम रखने शुरु किये । France, US, UK में इस गेम ने चलना शुरु किया । वहां भी लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए ।
-> पुलिस ने भी किया था सचेत – इसके परिणाम देखकर 2017 में मई में रूस की पुलिस ने सोशल मीडिया पर लोगों को बताया भी कि इस गेम से बचकर रहें इसके परिणाम काफी घातक हो रहे हैं । वहां लगभग 125 से ज्यादा लोगों की मौत इस गेम की वजह से हो चुकी है ।
कैसे खेली जाती है ये गेम – blue whale game kese khelte hein
अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये गेम कैसे खेला जाता है और कैसे यह इंसान की सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देता है। दोस्तों इस गेम का समय 50 दिन का होता है । हर दिन आपको एक नया टास्क दिया जाता है | जिसे पूरा करके आप गेम के अगले पड़ाव पर जाते हैं । हर दिन क्यूरेटर खेलने वाले को एक जोखिम भरा टास्क देता है । जिसे उसे पूरा करना होता है । इतना ही नहीं उस टास्क को जब खेलने वाला पूरा करता है। तो उसे अपनी वीडियो या फोटो क्यूरेटर को भेजनी होती है। यह इस लिये किया जाता है ताकि क्यूरेटर के पास सबूत हो कि आप इस गेम को खेल रहे हैं और कैसे हर पड़ाव को पार कर रहे हैं। आपने कभी ऐसी गेम की कल्पना भी नहीं की होगी जो इस तरह से किसी की जान भी ले सकती है ।
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ब्लू व्हेल के जोखिम भरे टास्क – blue whale game mein tasks kya hote hein
– ब्लू व्हेल गेम के टास्क की शुरुआत में पहले वह आसान – आसान टास्क देता है । जैसे ऊपर चढ़ कर सेल्फी लेना हाथ पर ब्लेड से निशान बनाना, जगह -जगह कट लगाना, डरावनी फिल्म देखना, सुबह 4 बजे छत पर चढ़ना, खुद को सुईयाँ चुभोना । धीरे – धीरे ये टास्क खतरनाक होने लगते हैं | ऐसे 50 टास्क प्लेयर को दिये जाते हैं । कई बार नस काटने को भी कहा जाता है। रोज एक कट अपने हाथ पर लगाना पड़ता है । अंत में ब्लू व्हेल की आकृति बन जाती है । एक बार गेम को शुरु करने के बाद उसे छोड़ नहीं सकते । अंत में उसे खुदकुशी करनी पड़ती है ।
-> स्पेशल लोगों को बनाया जा रहा था निशाना – इस गेम को खेलने के लिये क्युरेटर कुछ ऐसे ही बच्चों को या युवाओं को चुनता है जिनमें जूनून होता है । वह पर्सनल चैट के माध्यम से ऐसे लोगों को चुनता है साथ ही वह उन्हें चैलेंज के बारे में भी पहले से ही बता देता है । वह उन्हें यह भी बता देता है कि गेम के अंत में आप की जान भी जा सकती है। यदि बीच में किसी कारण से खिलाड़ी गेम ना खेले या उसे छोड़ दे तो क्युरेटर उसके परिवार या दोस्तों आदि को मारने की धमकी देता है और उसे गेम खेलने के लिये मजबूर किया जाता है।
क्यों किया गया ऐसे खतरनाक गेम का निर्माण – blue whale game kyun banaya gaya
22 साल के फिलिप नामक युवक जिसने इस गेम का निर्माण किया, ऐसे इंसान को आप क्या कहेंगे सनकी, पागल या मनोरोगी । इस व्यक्ति से जब सवाल किया गया कि आपने इस गेम के माध्यम से कितने लोगों की जान ली है और आपने ऐसा क्यों किया तो इसने बड़े ही शांत स्वभाव में उत्तर दिया कि समाज में फालतू कचरा भरा पड़ा है । जिससे समाज को केवल नुकसान ही हो सकता है फायदा नहीं, ये लोग केवल अपने लिये जी रहे हैं ऐसे लोगों का मर जाना ही बेहतर है । मैंने समाज से ऐसे लोगों को साफ किया है । इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
-> मनोवैज्ञानिक इस बारे में क्या कहते हैं –
- डॉक्टर सागर मंधाना जी इस बारे में बताती हैं कि इस तरह की गेम्स खेलने वाले लोग वास्तविक और वर्चुअल दुनिया में अंतर ही नहीं कर पाते उन्हें लगता है जैसे गेम का नायक कुछ समय के लिये मर कर फिर जिन्दा हो जाता है उसी तरह से वह भी नहीं मरेंगे। उन्हें सब गेम लगने लगता है ।
- डॉक्टर पुलकित शर्मा जी इस बारे में बताते हैं कि ऐसे बच्चे डिप्रेशन का शिकार होते हैं । वह सही और गलत में फर्क ही नहीं कर पाते । पैरेन्टस से अनुरोध है कि यदि बच्चा डिप्रेशन में हो तो उसे सोशल मीडिया से ना जुड़ने दें क्योंकि ऐसे लोग इस तरह की गेम्स का जल्दी शिकार होते हैं ।
एक संदेश – इस तरह की गेम्स ज्यादातर बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं या फिर जो मानसिक रुप से कमजोर होते हैं । ऐसे में पैरेन्टस को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उनका बच्चा फोन पर किस प्रकार की गेम्स खेल रहा है । उन्हें अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहिये । उनसे बातचीत करते रहना चाहिये । बच्चे तो आखिर कर बच्चे होते हैं । ऐसे में पैरेन्टस का फर्ज बनता है कि बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखें और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनायें ।
नोट – blue whale game फिल्हाल अभी बंद कर दी गई है । परंतु कई जगहों पर आज भी ब्लू व्हेल गेम खेली जा रही है। इसलिये आप सब से अनुरोध है कि इस खतरनाक गेम से अपने बच्चों को बचा कर रखें ।
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