आखिर मोर के छुए बिना कैसे हो जाती है मोरनी गर्भवती

दोस्तों हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर है ये तो सभी जानते हैं, पर क्या आप लोग यह जानते हैं कि मोर ही हमारा राष्ट्रीय पक्षी क्यों चुना गया । पक्षी तो और भी हैं और उनमें भी सुंदरता है। जब मोर वर्षा ऋतु में अपने पंख (mor ke pankh) फैलाकर नाचता है तो ऐसा लगता है जैसे बेशकीमती हीरों से जड़ी कोई पोशाक पहने नाच रहा हो मोर की सुंदरता का मुकाबला और कोई नहीं कर सकता। मोर केवल अपनी सुन्दरता के लिये ही नहीं जाने जाते बल्कि मोर का धार्मिक दॄष्टि से भी काफी महत्व माना जाता है । इतिहास में भी मोर को काफी ऊँचा स्थान दिया गया है। यही नहीं मोर के पंखों का भी काफी महत्व माना जाता है और इन्हें घर में रखना काफी शुभ होता है।

mor ke pankh




 

-> मोर का मोरनी को प्रेम निवेदन –

मोर बसंत में और वर्षा के आने की खुशी में जब अपना सुंदर नाच नाचता है तो वह केवल नाच ही नहीं होता बल्कि मोर का यह नाच अपने साथी को अपने प्रणय निवेदन के लिये आमंत्रण भी होता है। मोर का यह नाच देखने पर ही मोरनी उसे पसंद करती है ।

-> मोरों के प्रकार –

  • मोर कई रंगों में पाये जाते हैं – सफेद, नीला, हरा व जामुनी । मुख्यत: मोर नीले रंग का ही होता है। नीला मोर ज्यादातर भारत, नेपाल और श्रीलंका में पाया जाता है।
  • हरा मोर जावा, म्यांमार व इंडोनेशिया में पाया जाता है।
  • भारत में अधिकतर मोर हरियाणा ,गुजरात, तमिलनायडू व राजस्थान में पाये जाते हैं ।

-> मोर के नाम –

मोर को अलग अलग भाषाओं में अलग अलग नामों से जाना जाता है अंग्रेजी में इसे ब्ल्यू पीफाउल , विज्ञान में इसे पावो क्रिस्टेटस ,अरबी में ताऊस और संस्कृत में मयूर कहा जाता है ।

-> मोर का भोजन –

  • यह भोजन में मछली, सांप, कीट, पतंगे, छिपकली आदि बड़े चाव से खाते हैं ।
  • यह गेहूँ, मक्का, जौ, ज्वार आदि भी खाते हैं ।
  • इसके अलावा अमरूद, बेर, सेब आदि फल भी इन्हें काफी प्रिय होते हैं ।

mor ke pankh

-: इतिहास में मोर का महत्व –



इतिहास में भी मोर का काफी महत्व है । कालिदास ने इसे काफी ऊँचा दर्जा दिया है, चन्द्रगुप्त के सिक्कों पर मोर छपा होता था। राजाओं महाराजाओं के सिहांसन पर पीछे मोर के आकार के पंख बने होते थे। शाहजहां के तख्त जिस पर वो बैठते थे उस पर मोर की आकृति बनी हुई थी । राजाओं को हवा भी मोर के पंख के आकार के पंखों से की जाती थी ।




-: धार्मिक दॄष्टि से मोर का महत्व –



मोर को धार्मिक दॄष्टि से भी काफी पवित्र माना जाता है। इसे भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन भी माना जाता है तथा भगवान श्री कृष्‍ण इसके पंखों को अपने मुकुट या अपने शीश पर धारण करते हैं । ऐसा माना जाता है कि मोर सहवास नहीं करता और आजीवन ब्र्ह्म्चर्य धारण करके रखता है, इसलिये श्री कृष्ण इसके पंख को सिर पर धारण करते हैं | पर फिर सवाल उठता है कि यदि मोर सहवास नहीं करता तो मोरनी गर्भ कैसे धारण कर लेती है। इसके जवाब में यह बताया गया है कि मोर जब रोता है तो मोरनी उसके आँसू पीकर गर्भवती होती है, यानि बिना मोर के छुए मोरनी गर्भ धारण कर लेती है

पर यह बात कुछ हज़म नहीं हुई, इसीलिये इस बात पर फिर गौर किया गया और काफी समय तक कोई स्पष्ट परिणाम सामने नहीं आये तब वन्य विभाग द्वारा यह बताया गया कि मोर जब पंख फैलाकर मोरनी को रिझाता है तो उस समय मोरनी उस मोर का चुनाव करती है जिससे वह गर्भधारण करवाना चाहती है । तब मोर केवल कुछ पलों के लिये सहवास करता है। यह बात विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित हो चुकी है ।

-: मोरों के बारे में और भी कुछ दिलचस्प बातें –



  • 26 जनवरी 1963 को मॊड़ को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया ।
  • आपको बता दें कि भारत के अलावा श्री लंका व म्यांमार का भी राष्ट्रीय पक्षी मोर ही है।
  • नर मोर की लम्बाई लगभग 5 फीट, ऊँचाई 2 फीट, और वजन 5 से 6 किलो होता है। इसके शरीर का लगभग 60 प्रतिशत भाग इसकी लम्बी पूँछ का ही होता है।
  • यही एक ऐसा पक्षी है जिसमें नर मादा से ज्यादा आकर्षक लगता है। मादा पक्षी के मोर की तरह सुंदर पंख नहीं होते और इनके सिर पर कलगी भी छोटी होती है।
  • मोर ना केवल अपनी नाचने की मुद्राओं से मोरनी को सहवास के लिये खुला न्यौता देता है बल्कि यह काफी सारी आवाजें भी निकालता है। यह ऐसी आवाजों से मोरनी को मोहित करते है ।
  • बरसात के मौसम में जब मोर मस्त होकर नाचता है तब उसके पंख टूट जाते हैं। अगस्त के महीने में मोर के पंख पूरी तरह से झड़ जाते हैं और गर्मी यानि ग्रीष्म ॠतु के आने तक यह पूरी तरह से वापिस आ जाते हैं।
  • मोर को पाल सकते हैं परंतु इन्हें बाग – बगीचे खुले स्थानों पर पाला जाये तो ये ज्यादा सहज महसूस करते हैं ।
  • मोरनी किसी प्रकार के घोसले या गुफा आदि में ना रह कर किसी ऐसे स्थान पर अंडे देती है जहां वह सुरक्षित महसूस करती है ।
  • जनवरी से अक्तूबर तक मोरनी अंडे देती है । 2.7 इंच के आकार के अंडे देती है और यह चमकीले होते हैं। यह एक बार में 5 से 7 अंडे देती है।
  • मोर रात्रि में पेड़ों पर खड़े- खड़े ही सो लेते हैं ।
  • मोरों की दॄष्टि के तेज होने के साथ-साथ इनकी सूंघने की शक्ति भी काफी तेज होती है इसलिये सियार या अन्य जंगली जानवर की आहट ये जल्दी पहचान लेते हैं ।
  • मोर की औसत आयु 25 से 30 साल तक होती है।

 

-: मोर के पंख घर में रखने के चमत्कारी लाभ –



  • मोर पंख को घर में रखने से सुख समृद्धि आती है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • मोर पंख पास में रखने से अमंगल नहीं होता है ।
  • मोर पंख रखने से उस स्थान पर सांप नहीं आते क्योँंकि मोर का प्रिय भोजन साँप होता है और इसी डर से वह वहां नहीं आते।
  • मोर के पंखों से हमारे शरीर पर ऊपर से नीचे की ओर फहराने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है, इसीलिये ज्यादातर झाड़ा देने वाले इन मोर पंखों का ही उपयोग करते हैं ।
  • घर में बरकत लाने के लिये मोर के पंखो को दक्षिण पूर्व दिशा में रखना चाहिये।
  • विद्या की देवी को भी मोर काफी प्रिय है। इसलिये किताबों में मोर पंख रखने को काफी शुभ माना जाता है।

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