पूजा में नारियल ही क्यूँ चढ़ाते हैं ? pooja mein nariyal hi kyun chadhate hen

हिंदू धर्म और उसकी मान्यताएँ ऐसी हैं जिन पर जितना गहन अध्ययन किया जाये उतना ही और जानने की इच्छा होती है । बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो हम हर पूजा पाठ में करते हैं पर हमें यह नहीं पता होता कि हम वह कर क्यों रहे हैं या उसके पीछे की कहानी क्या है । आखिर क्यों यह होता है हर बात के पीछे कोई ना कोई कहानी जरुर होती है अब आप से हम यह पूछें कि हर पूजा में इस्तेमाल होने वाला नारियल आखिर आया कहां से, नारियल ही क्यों पूजा जाता है (pooja mein nariyal hi kyun chadhate hen) और कोई फल क्यों नहीं, nariyal बनने की कहानी क्या है तो शायद ही किसी को पता होगा । इस पोस्ट में आपको इन सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे ।




pooja mein nariyal hi kyun chadhate hen

स्वर्ग और सत्यव्रत  की कथा – swarg aur satyavrat ki katha, nariyal ki kahani



-> सत्यव्रत का स्वर्ग के प्रति आकर्षण – प्राचीन काल में सत्यव्रत नाम का एक महान राजा हुआ करता था। उनका ईश्वर में काफी विश्वास था सब कुछ होने के बाद भी उनके मन में एक इच्छा थी जिसे वह पूरा करना चाहते थे । वह चाहते थे कि किसी भी तरह वह स्वर्ग लोक चले जायें स्वर्ग उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता था । वह जब भी इसके बारे में सोचते तो वहाँ जाने के लिये उत्सुक हो जाते ।

-> विश्वामित्र का तपस्या के लिये दूर निकल जाना – एक बार जब विश्वामित्र जी तपस्या करने के लिये काफी दूर निकल गये तो काफी समय तक वह वापिस नहीं आये इस बीच वहाँ सूखा पड़ने से उनके परिवार की हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही थी । उनके परिवार को भूख प्यास के कारण दर बदर भटकना पड़ रहा था ।

-> राजा का ॠषि के परिवार को सहारा देना – ऐसे में राजा सत्यव्रत ने  उनके परिवार को आश्रय दिया उनके परिवार की देखभाल की उनका पालन पोषण किया । जब विश्वामित्र जी तपस्या से वापिस लौटे तो विश्वामित्र के परिवार ने राजा के परोपकार के बारे में उन्हें बताया । जब वाल्मीकि जी को सारी बातों का पता चला तो वो राजा से मिलने गये और उनका धन्यवाद किया ।

-> वरदान के रुप में स्वर्ग तक जाने का रास्ता – धन्यवाद के रूप में राजा ने कुछ वर देने का निवेदन किया । विश्वामित्र जी ने खुशी – खुशी राजा से वरदान माँगने को कहा राजा ने जब अपनी स्वर्ग जाने की इच्छा के बारे में बताया और एक ऐसा रास्ता बनाने का निवेदन किया जो स्वर्ग तक जाये तो विश्वामित्र ने अपनी तपस्या की शक्तियों के बल पर जल्द से जल्द  ऐसा रास्ता बनाया जो पृथ्वी से स्वर्ग तक जाये ।

-> राजा का स्वर्ग में जाना और वापिस धरती पर गिरना – राजा यह देखकर काफी प्रसन्न हुआ और खुशी खुशी उस रास्ते से स्वर्ग की ओर चल पड़ा जब वह स्वर्ग के पास पहुँचा तो देवताओं ने उसे धक्का दे दिया और वह वापिस धरती पर आ गिरा । जब विश्वामित्र को उन्होंने यह सब बताया तो वह बहुत क्रोधित हुए ।




-> राजा के लिये बना अलग से स्वर्ग – अंत में विश्वामित्र के क्रोध से बचने के लिये देवताओं ने विश्वामित्र की सहमति से राजा के लिए अलग से एक स्वर्ग बनाने को कहा अब यह स्वर्ग पृथ्वी और स्वर्ग के बीच बनाया गया इससे ना राजा को कोई तकलीफ हो और ना ही स्वर्ग के देवी देवताओं को राजा भी इस सूचना से काफी प्रसन्न हुए ।

-> विश्वामित्र का मन फिर भी अशांत था – फिर भी विश्वामित्र का मन अशांत था । उन्हें यह बात परेशान कर रही थी कि धरती और स्वर्गलोक के बीच होने के कारण कहीं हवा के ज़ोर से यह नया स्वर्गलोक डगमगा ना जाए। यदि ऐसा हुआ तो राजा फिर से धरती पर आ गिरेंगे ।

-> नए स्वर्ग के नीचे किया खम्बे का निर्माण – इसका समाधान निकालते हुए ऋषि विश्वामित्र ने नए स्वर्गलोक के नीचे एक खम्बे को खड़ा किया, जिसने उसे सहारा दिया । ऐसी मान्यता है की यही खम्बा समय आने पर एक पेड़ के मोटे तने के रूप में तबदील हो गया ।

-> नारियल बना राजा का सिर – जब से इसी पेड़ के तने को नारियल का पेड़ और राजा के सिर को नारियल कहा जाने लगा । इसीलिए आज के समय में भी नारियल का पेड़ काफी ऊंचा होता है ।

इस कथा के अनुसार सत्यव्रत को समय आने पर एक ऐसे व्यक्ति की उपाधि दी गई ‘जो ना ही इधर का है और ना ही उधर का । यानी कि एक ऐसा इंसान जो दो धुरों के बीच में लटका हुआ है ।

नारियल माता रानी को क्यों चढ़ाया जाता है – mata rani ko nariyal kyun chadhate hen



-> ध्यानु भगत  का माता रानी के दर्शन के लिए जाना – पुराने समय की बात है भारत पर तब मुग़लों का शासन था । राजा अकबर उस समय शासक थे । उस समय माता का एक परम भक्त माता रानी के दर्शन के लिये अपने मित्र मंडल के साथ जा रहा था । राजा के सिपाहियों ने उसे रोक कर पूछा कहाँ जा रहे हो । पूछने पर ध्यानु ने कहा हम देवी माँ के दर्शन करने ज्वाला देवी जा रहे हैं ।

-> ध्यानु भगत को राजा के सम्मुख ले जाना – राजा  के सिपाही उन्हें पकड़ कर राजा के दरबार में पेश कर देते हैं। राजा द्वारा पूछने पर ध्यानु भगत माता रानी की महिमा का गुणगान करने लगता है । राजा को इन सब पर यकीन नहीं होता और वह ध्यानु भगत से कहते हैं कि माता क्या चमत्कार कर सकती हैं । वह घोड़े का शीश काट देता है और उससे कहता है कि यदि तुम्हारी माँ में शक्ति है तो इसे जोड़ कर दिखाये ।

-> माता रानी पर राजा का संदेह – ध्यानु जी कहते हैं महाराज मैं एक तुच्छ प्राणी हूँ । माता रानी पर मुझे पूर्ण विश्वास है | परन्तु इस प्रकार से परीक्षा लेना ठीक नहीं है । फिर भी मैं माता रानी से आपकी कामना पूर्ण करने की प्रार्थना जरुर करूँगा । राजा के दरबार से ध्यानु भगत माता रानी के दरबार पहुँच जाते हैं और भक्ति भावना से माँ की पूजा करने के बाद माँ से कहते हैं कि मां मैं आपके प्रति राजा के इस संदेह के साथ नहीं जी सकता ।

-> ध्यानु भगत की भक्ति भावना – इसलिये आपको अपना सिर भेट कर रहा हूँ । ध्यानु जी तभी अपना सिर माता रानी को अर्पित कर देते हैं । ध्यानु भगत की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर माता रानी प्रकट होती हैं और उसे आशीर्वाद देती हैं कि माता का उस जैसा भक्त और कोई नहीं है तब तुरन्त उनका सिर जुड़ जाता है । फिर ध्यानु जी अकबर की गुजारिश पूरी करने की प्रार्थना करते हैं । तब माता रानी के प्रताप से  घोड़े की गर्दन भी जुड़ जाती है ।

-> ध्यानु भगत को माता का वरदान देना – तब ध्यानु जी माता रानी से अनुरोध करते हैं कि हे माँ हर भक्त इतनी कठिन परीक्षा नहीं दे पाएगा । कृपा करके कुछ ऐसा बतायें जो हर कोई आप को भेंट कर सके तब माता रानी ने नारियल की भेंट स्वीकार करने को कहा था। तब से अब तक माता रानी को मानव के सिर के रूप में नारियल की भेंट दी जाने लगी । तब से माता रानी को नारियल जरुर भेंट किया जाता है । राजा भी मां के इस चमत्कार को देखकर माता रानी के दरबार में सोने का छत्र ले कर ज्वाला देवी पहुंचते हैं और माँ से क्षमा याचना करते हैं ।

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स्त्री नारियल क्यों नहीं फोड़ सकती – mahilayen nariyal kyun nahin fod sakti



दोस्तों क्या आपको मालूम है कि स्त्री को nariyal नहीं फोड़ने दिया जाता । कई बार यह सवाल मन में भी आता होगा कि आखिर क्यों इस बात की मनाही है | आज हम आपको बताते हैं इसका राज …

-> बीज के रूप में नारियल – दरासल नारियल एक फल ना होकर एक बीज है और स्त्री तो जन्म दे सकती है यानि उसे प्रजनन या उत्पादन से जोड़ा जाता है | वह बीज को नष्ट नहीं कर सकती | इसलिये हिंदूधर्म के अनुसार स्त्री नारियल नहीं फोड़ सकती |

-> बलि का स्त्रोत – नारियल को बलि देने का एक स्त्रोत भी माना जाता है | हिंदू धर्म के अनुसार बलि केवल पुरुष ही दे सकते हैं स्त्री नहीं प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है |

-> नारियल का जल –  जब nariyal फोड़ा जाता है तो उसका जल देवी देवताओं पर छिड़का जाता है यह कार्य भी केवल पुरुषों द्वारा ही किया जाता है | पुरुष ब्रह्मा विष्णु और शिव के प्रतीक माने जाते हैं इसलिए भी स्त्री का नारियल फोड़ना वर्जित है |

-> त्रिदेव का रूप – ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया था तब वह तीन चीजें अपने साथ लाये थे | लक्ष्मी, कामधेनु और नारियल का पेड़ | nariyal को श्रीफल भी कहा जाता है | नारियल के ऊपर तीन बिन्दु होते हैं वह ब्रह्मा विष्णु और शिव के प्रतीक माने जाते है | इस कारण भी स्त्री का नारियल फोड़ना वर्जित माना जाता है |

अब नारियल बताएगा आपका ब्लडग्रुप – nariyal se janen apna blood group



छत्तीसगढ़ के एक युवक ने nariyal से बल्डग्रुप कैसे पता लगाएँ ऐसी तकनीक ईजाद की है काफी मेहनत के बाद यह जानकारी प्राप्त हुई है कि 8 प्रकार के ब्लडग्रुप होते हैं और नारियल द्वारा जब इसकी जांच की जाती है तो यह अलग अलग दिशा में मुड़ जाता है | 5 ब्ल्डग्रुप तो आसानी से पता चल जाते हैं परंतु तीन बल्डग्रुप पहचानने में थोड़ा समय लगता है |




-> गुहा की खोज – गुहा के मुताबिक वह किसी भी मानव को बिना छुए उसका ब्लडग्रुप बता सकते हैं | परन्तु वह अभी तक यह पता नहीं लगा पाये कि आखिर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है इस पर अभी शोध चल रहा है | इससे वह गैस सिलेन्डर खाली है या भरा हुआ यह भी बता सकते हैं | भूमि के अंदर की सुरंगों का और जमीन के अंदर के पानी का भी पता चलता है |

-> ऐसे करें जांच –  nariyal को अपने सिर के सामने थोड़ा ऊंचा रखिए यह ग्रुप के मुताबिक अपनी दिशा बदल लेगा थोड़ी देर में जिस दिशा की तरफ nariyal मुड़ जाता है, उसी से ब्लड ग्रुप की जांच होती है । जैसे ए पॉजिटिव के लिए  नारियल 45 डिग्री की पोजीशन में मुड़ जाता है । बी पॉजिटिव के लिए नारियल 60 डिग्री, एबी पॉजिटिव के लिए 45 से 55 डिग्री, ओ नेगिटिवके लिए 180 डिग्री और ओ नेगिटिव के लिए 90 डिग्री की पोजिशन ले लेता है ।

दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी जरूर बताइये  पसंद आए तो इसे शेयर जरूर कीजिये धन्यवाद |

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