मोमोज सबसे पहले किसने बनाये – momos history hindi

मोमोज की कहानी हमारी जुबानी – momos ki kahani

मोमोज या मोमो सुनते ही मुँह में पानी आने लगता है । तिब्बत की यह डिश आज पूरे भारत में इस कदर मशहूर है कि इसका जवाब नहीं  मोमोज के साथ मिलने वाली चटनी के तो कहने ही क्या दोनों का जो मेल है, वह गजब का है। आज हर गली शहर छोटी बडी दुकान होटल रेस्टोरेंट हर जगह मोमोज मिल जाते हैं | यह बहुत जल्दी बन जाते हैं और इसमें लागत भी कम लगती है । आज हम आपको मोमोज के इतिहास (momos history hindi) के बारे में बतायेंगे ।

momos kisne banaye




इसकी सबसे अहम बात यह है कि इसके अंदर का भरावन जितना बारीक कटा होगा और उसमें अदरक लहसुन होगा तो इसका स्वाद कई गुना बढ़ जायेगा । इसके बाद इसकी परत की बात करें तो वह भी ताजी सामग्री से बनी हुई हो और गर्म पानी से गुंधी हो तो अच्छा स्वाद आता है ।

यदि बात की जाये मोमोज की चटनी की तो उसका जो असली स्वाद है वह बहुत कम मिलता है । अदरक, लहसुन, टमाटर और लाल मिर्च से बनी चटनी टेस्ट में लाजवाब होती है ।

ये तो हुई मोमोज को बनाने की बात अब बात करते हैं कि मोमोज कैसे बन गये या ये कहें की मोमोज कैसे बने, कहां बने, क्यों बने, ऐसे कुछ सवाल यदि आपके मन में आते हैं तो उसी का जवाब आज हम आपको देंगे।

मोमोज से जुड़ी कुछ रोचक बातें – momos interesting facts in hindi


-> मोमोज का अर्थ –  मोमोज का मतलब होता है स्टीम में पकाई गई रोटी या चपाती।

-> मोमोज के नाम –  मोमोज को अलग- अलग नामों से जाना जाता है मोमोस, डिमसिम ,मोमो ।

-> मोमोज तिब्बत की डिश है –  सबसे पहले मोमोज तिब्बत में बने, वहाँ ये काफी पापुलर हैं। वहां की भीड़ इनकी दीवानी है | मोमो को वहां के लोग बड़े चाव से इसलिये खाते हैं क्योंकि यह जल्दी बन जाता है तला हुआ नहीं होता, भाप में बन जाता है तथा ज्यादा मसालेदार भी नहीं होता और खाने में लाजवाब लगते हैं।

->शिलांग में मोमो – सबसे ज्यादा टेस्टी मोमोj शिलांग में बनाये जाते है। यहां का जो भरावन या फिलिंग जिसे कहते हैं । वह मीट से तैयार किया जाता है जो एक दम प्योर होता है। तभी तो यहां  के मोमोस को काफी पसंद किया जाता है।

->अरुणाचल प्रदेश – अरुणाचल प्रदेश से लगे जनजाति के लोगों का भी यह काफी प्रिय व्यंजन है। वह इसे बड़े चाव से खाते हैं । इसकी फिलिंग में वह सरसों की पत्तियां, व अन्य सब्जियां भरते हैं| जिससे यह सेहत के लिये भी काफी अच्छा बन जाता है।

->मोमोज सिक्किम तक कैसा पहुंचा – 1960 में सिक्किम दार्जलिंग मेघालय के पहाड़ों में तिब्बतियों के कई समुदाय आकर बस गये इनका मुख्य आहार मोमोज रहा है। सिक्किम व तिब्बत में एक जैसे मोमोज बनाये जाते हैं।  यहां पर मोमोज भूटिया, लेपचा,नेपाली समुदाय की वजह से आये हैं। यहां मोमो भाप से व तलकर दोनों तरह से बनाया जाता है।




->चाइना में मोमोज – चाइना में मोमोस को डिमसिम के नाम से जाना जाता है | यहां पर इसकी फिलिंग बीफ से या सुअर के मीट से की जाती है कुछ स्थानों पर हरी सब्जियां भी इसकी फिलिंग में भरी जाती हैं।

->मोमोज के और भी नए रूप – आज मोमो को दिल्ली में कई रुप दे दिये गये हैं। जो ज्यादातर लोगों को पसन्द आ रहे हैं। मोमोज को तल कर भून कर खाने के अलावा अब तो तंदूरी मोमोज जो कि काफी लज़ीज़ लगते  हैं काफी डिमांड में है। मोमोज के अलग – अलग रुप मोमोज खाने वालों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं |

-> आज कल तो चॉकलेट मोमोज भी आने लगे हैं |

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