एक साल में नवरात्रि दो बार क्यों मनाई जाती है – नवरात्रि के राज और महत्व

दोस्तों नवरात्रि ( Navratri ) का पर्व भारतीय संस्कृति का काफी लोकप्रिय पर्व है । माता रानी के नवरात्रे लोग बडी़ खुशियों से मनाते हैं, व्रत करते हैं पूजा करते हैं यही नहीं यह एक ऐसा पर्व है जो वर्ष में दो बार आता है, पर क्या आप जानते हैं कि यह हम दो बार क्यों मनाते हैं। चलिये आज आपको बताते हैं दो नवरात्रोंं का असली राज –



navratri kyun manate hen

साल में दो बार नवरात्रि क्यों मनाई जाती है – saal mein do bar navratri kyun manate hein ?

एक नवरात्रि – Navratri गर्मी शुरु होते ही चैत्र में और दूसरी सर्दी के शुरु होते ही आती है । गर्मी और सर्दी के मौसम में सौर-ऊर्जा हम पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है क्योंकि इस समय फसल पकती है । वर्षा, जल, ठंड से राहत आदि जैसे जीवनोपयोगी कार्य इस समय पूरे होते हैं। इसी कारण दैवीय शक्तियों की आराधना करने के लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है ।

प्रकृति में परिवर्तन के कारण हमारे बाहरी मन के साथ साथ हमारे मस्तिष्क में भी परिवर्तन आते हैं। इसलिए शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाये रखने के लिए हम व्रत रखकर शक्ति की पूजा करते हैं।

एक बार इसे सत्य की असत्य पर व धर्म की अधर्म पर जीत के रूप में मनाया जाता है | वहीं दूसरी बार इसे भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है | जिसे रामनवमी भी कहा जाता है।



नवरात्रि की दंतकथा – Story of Navratri

एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। वह मां दुर्गा का भक्त था। प्रतिदिन वह ब्राह्मण मां दुर्गा की पूजा अर्चना किया करता था। ब्राह्मण की एक पुत्री भी थी । उसका नाम सुमति था वह भी हर रोज अपने पिता के साथ उस पूजा में भाग लेती थी लेकिन एक दिन खेलने कूदने में व्यस्त होने के कारण वह पूजा में शामिल नहीं हो पाई, तब  क्रोध में आकर उसके पिता ने उसे कहा कि वह उसका विवाह किसी भिखारी और कोढ़ी से कर देंगे ।

पिता की बातों से खिन्न होने के बाद भी उसने बिना किसी विरोध के सहर्ष उसे स्वीकार कर लिया। जैसा कि पिता ने कहा था कि वह उसका विवाह भिखारी से करेंगे पिता ने एक कोढ़ी भिखारी के साथ बेटी का विवाह कर दिया । अब वह अपने पति के साथ विवाह कर ससुराल चली गई। उसके पति का अपना कोई घर नहीं था इस लिए उसे जंगल में ही घास फूंस के आसन पर पूरी रात बितानी पड़ी।

उस निर्धन कन्या की ऐसी दशा देखकर माता दुर्गा उसके पिछले जन्म में किए गए उसके पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुईं और सुमति से बोलीं हे कन्या,’मैं तुम्हारी भक्ति भावना से काफी प्रभावित हूं मैं तुम्हें तुम्हारी इच्छा अनुसार वरदान देना चाहती हूं। तुम जो चाहो वह मांग सकती हो। माता को साक्षात अपने सामने पाकर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था तब सुमति ने देवी दुर्गा से पूछा, ‘आप मेरी किस बात पर खुश हैं माता, कन्या की बात सुनकर देवी मां ने कहा, ‘मैं पिछले जन्म के तुम्हारे पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं, तुम पिछले जन्म में एक भील की पतिव्रता स्त्री थी ।

एक दिन राजा के महल में चोरी के इल्जाम में तुम दोनों पति पत्नि को जेल में बंद कर दिया गया और उस समय तुम्हें और तुम्हारे पति को उन्होंने भोजन भी नहीं दिया । संंयोग से उस समय नौ देवी चल रही थी । इस प्रकार नवरात्रि के दिनों में तुमने न तो भोजन खाया और न ही जल पिया ,इसलिए नौ दिन तक नवरात्र व्रत का फल तुम्हें प्राप्त हुआ। जो अनजाने में व्रत हुआ उससे मैं प्रसन्न होकर आज तुम्हें तुम्हारी इच्छानुसार वरदान दे रही हूं।’यह सुनकर सुमति ने कहा कि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा करके मेरे पति का कोढ़ दूर कर दीजिए। माता ने उसकी ये इच्छा पूरी की मां भगवती की कृपा से सुमति का पति रोगहीन हो गया ।
इस प्रकार मां का नवरात्रि में पूजन व उपवास ( navratri fast & worship ) सब कष्टों से मुक्ति दिलाकर सब मनोकामना पूरी करता है यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।



नौ देवी के नौ रूपों का वर्णन – Nau devi ke nau roop kaun kaun se hein

नवरात्रि में जो नौ देवी का पूजन होता है वह हमारी तीन देवियों के ही रूप हैं जिनमें लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती आती हैं । पहले तीन दिन पार्वती के स्वरूपों की पूजा की जाती है । अगले तीन दिन लक्ष्मी के और अंत में सरस्वती जी के तीन रूपों की पूजा की जाती है ।

1- शैलपुत्री – यह देवी हिमालय और मैना की पुत्री है इन्होंने कठिन तप करके भगवान शिव की वामिनी होने का वरदान ब्र्ह्मा जी से मांगा था । ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति को अध्यात्म और शांति की इच्छा होती है वह इस देवी की पूजा से प्राप्त हो जाता है । इनकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन होती है इनकी कृपा से परमानंद की प्राप्ति होती है और सबको आरोग्य जीवन मिलता है।

2- ब्र्ह्म्चारिणी – ब्र्ह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है अच्छा आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का सुखद आचरण करने वाली  । हजारों वर्ष की कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम कमजोर हो गया। देवता, ऋषि, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को पुण्य कृत्य बताया । यह भी बताया कि ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों  में दुख में सुख में मन विचलित नहीं होना चाहिए।

3- चन्द्रघन्टा – माँ दुर्गा के तीसरे रूप का नाम चंद्रघंटा है। तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और चंद्रघंटा मां की कृपा से दैवीय शक्तियों के दर्शन होते हैं, अलौकिक सुगंधियों का एहसास होता है तथा अलग -अलग दिव्य ध्वनियाँ सुनने को मिलती हैं । देवी मां का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां की कृपा से भक्त के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

4- कूष्माण्डा – नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है वैसे तो देवी मां के सारे रूप बड़े ही मनमोहक व सरस हैं, परन्तु उनका यह रूप अत्यंत मनोरम लगता है। कहते हैं कि जब सृष्टि में कुछ नहीं था और चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब देवी कूष्माण्डा ने इस पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी । यही नहीं यह मोक्ष प्रदान करने वाली माता भी हैं ।

 

navratri ka mahatva

 

5- स्कन्द माता – नवरात्रि के पाँचवे दिन इनकी पूजा की जाती है देवों व असुरों के संग्राम में उनके सेनापति स्कंद की माता थी इसलिये इन्हें सुख और शांति की देवी माना जाता है। इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है।

6- कात्यायिनी – यह देवी काम मोक्ष प्रदान करने वाली व एकाग्रता बढ़ाने वाली मां हैं इनकी प्रिय सवारी शेर है। एक समय था जब कात्य नामक ॠषि हुआ करते थे उनकी इच्छा थी कि देवी मां बेटी के रूप में उनके घर में जन्म ले और महिषासुर का अंत करे । देवी भगवती ने उनकी विनती स्वीकार कर ली। ब्र्ह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया और ऋषि कात्यायन ने भगवती जी की कठिन तपस्या की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी देवी के नाम से जानी गई।

7- कालरात्रि – यह अंधकार की तरह काले रंग वाली माता है | यह मां अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाने वाली हैं अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं भूत- प्रेत, बाधाओं, रोग -बीमारी, ग्र्ह चक्कर सब इनके स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं| इनका रूप अत्यन्त भयंकर है परन्तु वह सिर्फ दुष्टों के लिये है अपने भक्तों के लिये तो यह करूणा का सागर हैं| इनका वाहन गधा है जो सब जीवों में सबसे ज्यादा परिश्रमी है और युगों से मां को लेकर इस धरती पर विचरण कर रहा है।

8- महागौरी –  भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तप किया था । जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था।  परन्तु देवी के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था और स्व्यं शिव ने इनके शरीर को गंगा-जल से धोया था। तब देवी चंद्र के समान अत्यंत गौर वर्ण की हो जाती हैं उसी समय से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी अत्यंत करूणामयी व स्नेहमयी हैं। इनका वाहन वृषभ है।

9- सिद्धिदात्री – देवी सिद्धिदात्री के पास गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व ,अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य यह आठ सिद्धियां हैं। पुराणों के अनुसार सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद ही शिव जी ने अपार सिद्धियां प्राप्त की थी। शिव जी का आधा शरीर मानव और आधा शरीर स्त्री का उन्हें इन्हीं की कृपा से प्राप्त हुआ था। इसलिए भगवान शिव संसार में अर्द्धनारीश्वर के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से लौकिक व परलौकिक शक्तियों को पाया जा सकता है।





नवरात्रि के पीछे छिपी है यह सच्चाई – Navratri ke raaj

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अब आपको एक सच से और वाकिफ कराते हैं जो जानते तो शायद सब हैं पर किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि यह भी हो सकता है। नौ देवी के दौरान भव्य आयोजन होते हैं । अलग अलग प्रतियोगिताएं होती हैं और लोग इसमें बढ -चढ़ कर हिस्सा भी लेते हैं । हर साल हजारों जोडि़यां यहां बनती हैं कुछ लोग शादी भी कर लेते हैं और कुछ लोग प्यार में भी पड़ जाते हैं ।

यहां लड़के और लडकियां रात भर साथ में मस्ती करते हुए दिखते हैं – ऐसा नहीं है कि उन पर नजर नहीं रखी जाती पर हर पल उन पर पूरी तरह से नज़र रखने वाले लोग भी तो नहीं होते हैं। परिणाम स्वरूप बहुत सारी प्रेम कहानियों की शुरुआत यहीं पर होती है।

कुछ वर्षों पहले, गुजरात में मेडिकल स्टोर वालों ने ये कहा था कि राज्य में इस समय आपातकालीन गर्भपात गोलियों की बिक्री अचानक बहुत बढ़ जाती है और यह ज्यादातर ऐसे त्योहारों के दौरान ही होता है।

गुजरात की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नवरात्री के इन दिनों में गर्भपात की संख्या काफी बढ़ जाती है। ऐसे त्यौहारों के समय में, केमिस्ट की दुकानें चलाने वाले गर्भपात की गोलियों का भारी मात्रा में स्टॉक पहले से ही तैयार रखते हैं। होटल बार इन जगहों पर घंटे के हिसाब से कमरे किराये पर दिये जाते हैं और यहाँ तक कि डांस की जगहों पर कंडोम मशीन की भी सुविधा दी जाती है |

यह था नवरात्रि के पीछे छिपा सच जो लोग जानते हुए भी अनजान बन जाते हैं । कुछ लोगों का मानना है कि इसमें कोई गलत बात नहीं है आज हर इंसान को अपने तरीके से जीने का हक है । वहीं कुछ लोग इसके बिल्कुल खिलाफ हैं उनका मानना है कि यह एक पवित्र स्थान है और ऐसे स्थानों पर इस सोच के साथ आना यह सरासर गलत है । ऐसे लोग समाज को गंदा कर रहे हैं |

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पढ़ने के लिये धन्यवाद ।



 

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